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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2777
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सुदूर संवेदन के भारतीय इतिहास एवं विकास पर प्रकाश डालिए। 

उत्तर -

भारत में सुदूर संवेदन का विकास
(Development of Remote Sensing in India)

भारत में अन्तरिक्ष कार्यक्रम को प्रारम्भ करने का श्रेय डॉ० विक्रम अम्बालाल साराभाई को जाता है। अन्तरिक्ष तकनीक के विकास में भारत ने क्रमिक रूप से कई उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। आज इसका उपयोग सुदूर संचार, दूरदर्शन-प्रसारण, मौसम-विज्ञान तथा प्राकृतिक संसाधनों के सर्वेक्षण व प्रबन्धन में सफलतापूर्वक किया जा रहा है। अन्तरिक्ष क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ अति उत्तम प्रकार की स्वदेशी तकनीक पर आधारित हैं। इसका प्रमाण, विश्वसनीय एवं उपयोग में लाये गये उपयुक्त उपग्रहों का निर्माण एवं संचालन हैं। 'भारत की प्रगति का प्रमाण इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत ने प्रक्षेपण यान (Launch Vehicles) का निर्माण करके अन्तरिक्ष कार्यक्रम में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है। यह 'उपग्रह मिशन' की बहुत बड़ी आवश्यकता की पूर्ति है।

भारत द्वारा अन्तरिक्ष कार्यक्रम का शुभारम्भ सन् 1972 में भारत सरकार द्वारा अंतरिक्ष आयोग (Space Commission) एवं अन्तरिक्ष-विभाग (Department of Space-DOS) की स्थापना के साथ हुआ था। इसकी स्थापना के साथ अन्तरिक्ष कार्यक्रम को अति व्यापक बनाया गया जिसके अन्तर्गत अन्तरिक्ष-प्रक्षेपण प्रणाली (Space Launch System), उपग्रहों के विकास तथा उपयोग को विशेष महत्व दिया गया। यह एक पूर्ण संगठित कार्यक्रम था जो विश्वसनीय अन्तरिक्ष-सेवाओं की व्यवस्था करता है। अन्तरिक्ष-विभाग (DOS) के अन्तर्गत भारतीय अनुसंधान संगठन (ISRO), राष्ट्रीय अन्तरिक्ष-कार्यक्रम की योजनाओं के विकास तथा इनको कार्यान्वित करने में मूलभूत भूमिका निभाता है। 'भौतिक-अनुसंधान-प्रयोगशाला' (Physical Research Laboratory), अहमदाबाद तथा तिरूपति के पास स्थित राष्ट्रीय आयनमण्डलीय, समतापमण्डलीय तथा अधोमण्डलीय रडार सुविधाएँ अन्तरिक्ष-विज्ञान की खोज में कार्य करती हैं। ये सभी अन्तरिक्ष विभाग द्वारा संचालित होती हैं। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेन्सी (National Remote Sensing Agency-NRSA), अन्तरिक्ष-आधारित सुदूर संवेदन-सूचनाओं को उपयोगकर्त्ता तक पहुँचाती है। अन्तरिक्ष-क्षेत्र में भारत का क्रमिक विकास निम्न प्रकार से हुआ है-

आर्यभट्ट (Aryabhat) - भारत का प्रथम उपग्रह 'आर्यभट्ट' सोवियत संघ की सहायता से 19 अप्रैल 1975 में पृथ्वी के कक्ष के नजदीक अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।

भास्कर (Bhaskar) - 'भास्कर-1' का प्रक्षेपण 7 जून, 1979 में व भास्कर-2 का प्रक्षेपण 20 नवम्बर, 1981 में रूस के इन्टर कौसमोस रॉकेट की सहायता से किया गया था। इन पर एक दृश्य बैंड तथा दूसरा अवरक्त बैंड में कार्य करने वाले दो टेलीविजन कैमरे तथा तीन आवृत्ति निष्क्रिय लघुतरंग रेडियो मीटर लगे हुए थे।

एप्पल (Ariane Passangar Payload Experiment-APPLE) -'एप्पल' एक भू-तुल्यकालिक संचार उपग्रह था जिसे 19 जून, 1981 में यूरोप अन्तरिक्ष संस्था (ESA) के एरिओन प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपित किया गया था। इसका उपयोग कई संचार कार्यक्रमों को संचालित करने के लिये किया गया।

रोहिणी (Rohini Series) - रोहिणी क्रम के उपग्रह भारत द्वारा निर्मित Satellite Launch Vehicle (SLV-3) प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपित किये गये। रोहिणी क्रम के दो अन्य उपग्रहों SROSS-C व S-2 को क्रमशः 20 मई, 1992 तथा 4 मई, 1994 को भारत में निर्मित उपग्रह प्रक्षेपण यान ASLV द्वारा प्रक्षेपित किया गया।

साइट (Satellite Instructional Television Experiment - SITE ) - यह एक प्रकार की अनुसंधान परियोजना थी जिसका उद्देश्य उपग्रह- तकनीक सम्भावनाओं का पता लगाना था। इस तकनीक को संचार के क्षेत्र में प्रभावशाली बनाया गया।

स्टेप (Satellite Telecommunication Experiment Project-STEP) - स्टेप को 1977-79 के दौरान-फ्रांस-जर्मनी सिमफोनी उपग्रह की सहायता से सम्पन्न किया गया। इसका प्रमुख उद्देश्य घरेलू दूरसंचार तथा भूमि पर तकनीकी ढाँचा तैयार करने के लिये भू-स्थैतिक उपग्रह प्रणाली का क्रियान्वयन कर अनुभव प्राप्त करना था। भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (Indian National Satellite System-INSS) - 'भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली,' 'भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संस्थान दूरसंचार विभाग', भारतीय मौसम विभाग, आकाशवाणी, दूरदर्शन- इत्यादि कई विभागों के सामूहिक प्रयास का प्रतिफल है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय दूरसंचार, आकाशवाणी व दूरदर्शन का विस्तार एवं मौसम के बारे में जानकारी प्राप्त करना है। INSAT क्रम भू-स्थैतिक उपग्रह है।

इन्सैट-1ए (INSAT-1A) - इसको 10 अप्रैल, 1982 को कैप कारनवेल (अमेरिका) से छोड़ा गया लेकिन 6 दिसम्बर, 1982 के बाद इसने कार्य करना बन्द कर दिया। इसके बाद 'इन्सैट-2बी' को अगस्त, 1983 में कैप कारनवेल से सफलतापूर्वक छोड़ा गया और इसके साथ ही भारत, एशिया में बहुद्देशीय उपग्रह छोड़ने वाला जापान तथा इण्डोनेशिया के बाद तीसरा देश हो गया। 'इन्सैट-1सी' को 'यूरोपियन अन्तरिक्ष संस्था' द्वारा एरीयन-3 रॉकेट की सहायता से 22 जुलाई, 1988 में फ्रेंच गयाना से छोड़ा गया। नवम्बर, 1989 को इसे अनुपयोगी घोषित किया गया था। 'इन्सैट-1डी' को अमेरिका प्रक्षेपण पैड से 12 जून, 1990 को छोड़ा गया। यह 17 जुलाई, 1990 से उपयोग में आया। यह इन्सैट-1 श्रृंखला का चौथा एवं अन्तिम उपग्रह था। इसके द्वारा दूरसंचार, आकाशवाणी, दूरदर्शन तथा मौसम विज्ञान के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन आये। :

इन्सैट-2 (INSAT-2) - भारत द्वारा स्वदेशी तकनीक से निर्मित यह इन्सैट श्रृंखला की द्वितीय पीढ़ी का उपग्रह है। इन्सैट-2ए को एरियन-4 रॉकेट की सहायता से 10 जुलाई, 1992 को छोड़ा गया। यह उपग्रह इन्सैट-1 श्रृंखला से अधिक शक्तिशाली श्रेणी का था।

इसी क्रम में 'इन्सैट-2बी' स्वदेशी तकनीक से निर्मित था। इसका छः जुलाई, 1993 को अन्तरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। इन्सैट-2बी निरन्तर क्रियाशील है। 4 जून, 1997 को भारत ने अपने ही देश में निर्मित 2079 किलोग्राम का 'इन्सैट-2डी' को बाह्य अन्तरिक्ष में स्थापित किया। इन्सैट-2डी में बुनियादी टेलीफोन सुविधा तथा दूरदर्शन के कार्यक्रमों को दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँचाने के लिये 23 ट्रांसपोण्डर्स (Transponders) लगे हैं। इसी श्रृंखला के पाँचवें उपग्रह 'इन्सैट-2ई' को भारत ने 3 अप्रैल, 1999 को छोड़ा।

भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह क्रम (Indian Remote Sensing Satellite Series-IRS) - भारत में सुदूर संवेदन उपग्रह-श्रृंखला का प्रथम उपग्रह IRS-1A को मार्च, 1988 में सोवियत वोस्टक रॉकेट की सहायता से अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया। इसी श्रृंखला का द्वितीय उपग्रह IRS-IB को 72.5 मीटर विभेदन के LISS-1 तथा 36-25 मीटर के LISS-IIA व LISS-IIB संवेदक के दो कैमरे लगे हुए हैं। ये कैमरे चार स्पेक्ट्रल बैंड्स 0.45 से 0.86 माइक्रोमीटर पर कार्य करते हैं। इसी प्रकार तृतीय उपग्रह IRS-IC को 28 दिसम्बर, 1995 में रूसी रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया गया। इस पर निम्न तीन कैमरे लगे हुए थे-

(i) पेंक्रोमेटिक कैमरा (Panchromatic Camera-PAN) - यह एक उच्च विभेदक (5.8 मीटर) पेंक्रोमेटिक बैंड पर कार्य करता है जिसकी स्वॉथ चौड़ाई 70 किमी होती है। इसमें स्टीरियोस्कोपिक बिम्ब देखने की क्षमता है।

(ii) LISS-III (A Linear Imaging Self-Scanning Sensor) - यह चार स्पैक्ट्रल बैंड्स पर कार्य करता है। इनमें तीन दृश्य/अवरक्त स्पैक्ट्रल (VNIR) बैंड्स तथा एक लघु तरंग अवरक्त (SWIR) प्रभाग है। इसका भूमि-विभेदन, VNIR बैंड पर 23.5 मीटर तथा SWIR बैंड पर 70.5 मीटर है, जिनकी स्वॉथ चौड़ाई क्रमशः 41 किमी तथा 148 किमी है।

(iii) WIFS (Wide Field Sensor -WIFS) - यह एक निम्न विभेदक (188.3 मीटर) कैमरा है, जिसकी स्वाथ चौड़ाई 810 किमी होती है। उपग्रह में एक टेपरिकार्डर भी है जो आँकड़ों को अंकित करता है।

चतुर्थ उपग्रह IRS - 1D को 29 सितम्बर, 1997 को प्रक्षेपित किया गया जो IRS-IC के ही समान है। IRS-P2 तथा IRS-P3 को भारत में निर्मित PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) द्वारा क्रमशः 15 अक्टूबर, 1994 व 21 मार्च, 1996 को प्रक्षेपित किया गया। IRS-1A व IB की ही भाँति IRS-P2 में भी LISS-II कैमरा लगा है जबकि IRS-P3 में WIFS कैमरा लगा हुआ है।

IRS-P4 को PSLV-C2 द्वारा 26 मई, 1999 को सफलतापूर्वक अन्तरिक्ष में छोड़ा गया। यह अपनी तरह का एक नया प्रयोग था। इस पर समुद्री रंगीन मॉनीटर (Ocean Colour Monitor) तथा 'बहु आवृत्ति स्कैनिंग लघुतरंग रेडियोमीटर (Multi-Frequency Scanning Microwave Radiometer) लगे हुए हैं। 12 सितम्बर, 2002 को PSLV-C4 रॉकेट द्वारा मौसमी अध्ययन हेतु भारत ने Metsat (अब कल्पना-1) उपग्रह को 36000 किमी की ऊँचाई वाली भूस्थिर कला में स्थापित किया। इसके अगले चरण में PSLV-C5 रॉकेट से Resource Sat-1 नामक उपग्रह को 17 अक्टूबर, 2003 में ध्रुवीय कला में स्थापित किया गया। 20 सितम्बर, 2004 को श्रीहरिकोटा से GSLV रॉकेट से शिक्षा का प्रसार करने हेतु EDUSAT उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया गया है। IRS-P5 (कार्टोसेट-1, Cartosat-1) का PSLV-C7 द्वारा प्रक्षेपण 5 मई, 2005 को किया गया। इसका अनुप्रयोग वृहद् मापक पर मानचित्रण और Terrian Modelling के लिये किया जायेगा। 10 जनवरी 2007 को Cartosat-2 (IRS-P7) का PSLV-C7 प्रक्षेपण यान से और 28 अप्रैल, 2008 को PSLV-C9 से Cartosat-2A (IRS P8) और IMS-1 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। 8 मार्च, 2008 को Cartosat-2 का प्रक्षेपण महासागरों के अध्ययन हेतु सफलतापूर्वक किया गया।

उपरोक्त उपग्रहों के अलावा भी ISRO ने विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक करके भारत की इस क्षेत्र में धाक जमाई है। सन् 2012 तक भारत कई उपग्रहों का निर्माण करके उनका प्रक्षेपण करेगा जिसमें चन्द्रयान-प्रथम का सफल प्रमोचन महत्त्वपूर्ण मिशन है। 'चन्द्रयान-प्रथम' ने भारतीय प्रतिभा का विश्व में लोहा मनवाया है।

उपग्रह नियन्त्रण केन्द्र बंगलौर में स्थित है। राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र (NRSC) का आँकड़ों को प्राप्त करने वाला स्टेशन हैदराबाद के पास सादनगर में स्थित है। यहाँ पर उपग्रह से आँकड़ों को प्राप्त कर विभिन्न प्रकार के संशोधनों (Radiometric and Geometric Corrections) के पश्चात् इन्हें उपयोगकर्त्ता के प्रयोग के योग्य बनाया जाता है। तत्पश्चात् हैदराबाद में NRSC द्वारा आँकड़ों को वितरित करने की सुविधा है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सुदूर संवेदन से आप क्या समझते हैं? विभिन्न विद्वानों के सुदूर संवेदन के बारे में क्या विचार हैं? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- भूगोल में सुदूर संवेदन की सार्थकता एवं उपयोगिता पर विस्तृत लेख लिखिए।
  3. प्रश्न- सुदूर संवेदन के अंतर्राष्ट्रीय विकास पर टिप्पणी कीजिए।
  4. प्रश्न- सुदूर संवेदन के भारतीय इतिहास एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- सुदूर संवेदन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- सुदूर संवेदन को परिभाषित कीजिए।
  7. प्रश्न- सुदूर संवेदन के लाभ लिखिए।
  8. प्रश्न- सुदूर संवेदन के विषय क्षेत्र पर टिप्पणी लिखिए।
  9. प्रश्न- भारत में सुदूर संवेदन के उपयोग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  10. प्रश्न- सुदूर संवेदी के प्रकार लिखिए।
  11. प्रश्न- सुदूर संवेदन की प्रक्रियाएँ एवं तत्व क्या हैं? वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- उपग्रहों की कक्षा (Orbit) एवं उपयोगों के आधार पर वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
  13. प्रश्न- भारत के कृत्रिम उपग्रहों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्य के आधार पर उपग्रहों का विभाजन कीजिए।
  15. प्रश्न- कार्यप्रणाली के आधार पर सुदूर संवेदी उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- अंतर वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- भारत में उपग्रहों के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- भू-स्थाई उपग्रह किसे कहते हैं?
  19. प्रश्न- ध्रुवीय उपग्रह किसे कहते हैं?
  20. प्रश्न- उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?
  21. प्रश्न- सुदूर संवेदन की आधारभूत संकल्पना का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के सम्बन्ध में विस्तार से अपने विचार रखिए।
  23. प्रश्न- वायुमण्डलीय प्रकीर्णन को विस्तार से समझाइए।
  24. प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रमी प्रदेश के लक्षण लिखिए।
  25. प्रश्न- ऊर्जा विकिरण सम्बन्धी संकल्पनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। ऊर्जा
  26. प्रश्न- स्पेक्ट्रल बैण्ड से आप क्या समझते हैं?
  27. प्रश्न- स्पेक्ट्रल विभेदन के बारे में अपने विचार लिखिए।
  28. प्रश्न- सुदूर संवेदन की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- सुदूर संवेदन की कार्य प्रणाली को चित्र सहित समझाइये |
  30. प्रश्न- सुदूर संवेदन के प्रकार और अनुप्रयोगों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- सुदूर संवेदन के प्लेटफॉर्म से आपका क्या आशय है? प्लेटफॉर्म कितने प्रकार के होते हैं?
  33. प्रश्न- सुदूर संवेदन के वायुमण्डल आधारित प्लेटफॉर्म की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- भू-संसाधन उपग्रहों को विस्तार से समझाइए।
  35. प्रश्न- 'सुदूर संवेदन में प्लेटफार्म' से आप क्या समझते हैं?
  36. प्रश्न- वायुयान आधारित प्लेटफॉर्म उपग्रह के लाभ और कमियों का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- विभेदन से आपका क्या आशय है? इसके प्रकारों का भी विस्तृत वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- फोटोग्राफी संवेदक (स्कैनर ) क्या है? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- सुदूर संवेदन में उपयोग होने वाले प्रमुख संवेदकों (कैमरों ) का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- हवाई फोटोग्राफी की विधियों की व्याख्या कीजिए एवं वायु फोटोचित्रों के प्रकार बताइये।
  41. प्रश्न- प्रकाशीय संवेदक से आप क्या समझते हैं?
  42. प्रश्न- सुदूर संवेदन के संवेदक से आपका क्या आशय है?
  43. प्रश्न- लघुतरंग संवेदक (Microwave sensors) को समझाइये |
  44. प्रश्न- प्रतिबिंब निर्वचन के तत्वों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- सुदूर संवेदन में आँकड़ों से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- उपग्रह से प्राप्त प्रतिबिंबों का निर्वचन किस प्रकार किया जाता है?
  47. प्रश्न- अंकिय बिम्ब प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- डिजिटल इमेज प्रक्रमण से आप क्या समझते हैं? डिजिटल प्रक्रमण प्रणाली को भी समझाइए।
  49. प्रश्न- डिजिटल इमेज प्रक्रमण के तहत इमेज उच्चीकरण तकनीक की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- बिम्ब वर्गीकरण प्रक्रिया को विस्तार से समझाइए।
  51. प्रश्न- इमेज कितने प्रकार की होती है? समझाइए।
  52. प्रश्न- निरीक्षणात्मक बिम्ब वर्गीकरण और अनिरीक्षणात्मक बिम्ब वर्गीकरण के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
  53. प्रश्न- भू-विज्ञान के क्षेत्र में सुदूर संवेदन ने किस प्रकार क्रांतिकारी सहयोग प्रदान किया है? विस्तार से समझाइए।
  54. प्रश्न- समुद्री अध्ययन में सुदूर संवेदन किस प्रकार सहायक है? विस्तृत विवेचना कीजिए।
  55. प्रश्न- वानिकी में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोगों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- कृषि क्षेत्र में सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी की भूमिका का सविस्तार वर्णन कीजिए। साथ ही, भारत में कृषि की निगरानी करने के लिए सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने हेतु सरकार द्वारा आरम्भ किए गए विभिन्न कार्यक्रमों को भी सूचीबद्ध कीजिए।
  57. प्रश्न- भूगोल में सूदूर संवेदन के अनुप्रयोगों पर टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- मृदा मानचित्रण के क्षेत्र में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोगों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- लघु मापक मानचित्रण और सुदूर संवेदन के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  60. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र का अर्थ, परिभाषा एवं कार्यक्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
  61. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के भौगोलिक उपागम से आपका क्या आशय है? इसके प्रमुख चरणों का भी वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के विकास की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली का व्याख्यात्मक वर्णन प्रस्तुत कीजिए।
  64. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के उपयोग क्या हैं? विस्तृत विवरण दीजिए।
  65. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र (GI.S.)से क्या तात्पर्य है?
  66. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  67. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के उद्देश्य बताइये।
  68. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र का कार्य क्या है?
  69. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के प्रकार समझाइये |
  70. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र की अभिकल्पना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के क्या लाभ हैं?
  72. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में उपयोग होने वाले विभिन्न उपकरणों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में कम्प्यूटर के उपयोग का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  74. प्रश्न- GIS में आँकड़ों के प्रकार एवं संरचना पर प्रकाश डालिये।
  75. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के सन्दर्भ में कम्प्यूटर की संग्रहण युक्तियों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- आर्क जी०आई०एस० से आप क्या समझते हैं? इसके प्रशिक्षण और लाभ के संबंध में विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  77. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में प्रयोग होने वाले हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- ERDAS इमेजिन सॉफ्टवेयर की अपने शब्दों में समीक्षा कीजिए।
  79. प्रश्न- QGIS (क्यू०जी०आई०एस०) के संबंध में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- विश्वस्तरीय सन्दर्भ प्रणाली से आपका क्या आशय है? निर्देशांक प्रणाली के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- डाटा मॉडल अर्थात् आँकड़ा मॉडल से आप क्या समझते हैं? इसके कार्य, संकल्पना और उपागम का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- रॉस्टर मॉडल की विवेचना कीजिए। इस मॉडल की क्षमताओं का भी वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- विक्टर मॉडल की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- कार्टोग्राफिक संकेतीकरण त्रिविम आकृति एवं मानचित्र के प्रकार मुद्रण विधि का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- रॉस्टर मॉडल की कमियों और लाभ का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- विक्टर मॉडल की कमियों और लाभ के सम्बन्ध में अपने विचार लिखिए।
  87. प्रश्न- रॉस्टर और विक्टर मॉडल के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  88. प्रश्न- डेटाम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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